
अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों में पंजाब के मोहाली जिले का एक युवक भी शामिल है। अमेरिका द्वारा उठाए गए इस कदम से जहां पंजाबियों समेत कई भारतीयों के सपने टूट गए, वहीं कई परिवार कर्ज के तले दब गए, जिन्होंने गरीबी के हालात के बावजूद बेहतर भविष्य के लिए कर्ज लेकर अपने बच्चों को अमेरिका भेजा था। इनमें से एक है मोहाली के लालड़ू के जरौट गांव का रहने वाला 23 वर्षीय प्रदीप, जिसके परिवार ने युवक को विदेश भेजने के लिए कर्ज लिया था। हालाँकि वह अवैध रूप से अमेरिका गया था, लेकिन अब वह भी अमेरिका से निर्वासित होकर वापस आ गया है।
प्रदीप के अमेरिका से लौटने के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। परिजनों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही हैं। परिवार की हालत बेहद खराब है, घर की हालत देखकर साफ पता चल रहा है कि परिवार की आर्थिक स्थिति कैसी है। जहां वे अपने बेटे के घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं, वहीं उन्हें अपने कर्ज की भी चिंता सता रही है।
प्रदीप की दादी गुरमीत कौर, मां नरिंदर कौर उर्फ रानी, पिता कुलबीर ने बताया कि 6 महीने पहले उन्होंने जमीन बेचकर और कर्ज लेकर 40-41 लाख रुपये खर्च कर अपने बेटे प्रदीप को अमेरिका भेजा था। वह डोंकी से अमेरिका में दाखिल हुआ, जहां पहुंचने में उसे 6-7 महीने लग गए, वह 15 दिन पहले ही अमेरिका पहुंचा था, वहां बॉर्डर पुलिस ने उसे पकड़ लिया।
परिजनों का कहना है कि उन्होंने लाखों रुपये खर्च कर प्रदीप को अमेरिका भेजा था ताकि वह विदेश में कमाई कर कर्ज चुका सके और अपनी जिंदगी भी सुधार सके लेकिन अब उसे वहां से डिपोर्ट कर दिया गया है। कर्ज को लेकर उनकी यह उम्मीद थी कि प्रदीप अमेरिका में रहकर कमाई करेंगे, वह भी अब टूट गयी है।
परिवार ने भारत और पंजाब सरकार से मदद की गुहार लगाई है। प्रदीप के परिजनों का कहना है कि उन्होंने अपने बेटे के लिए जो पैसे लिए थे उन्हें वापस दिलाने और उनके बेटे को देश या प्रदेश में ही रोजगार दिलाने में उनकी मदद की जाए। जिससे गरीब परिवारों को आर्थिक मदद मिल सके।
अमेरिका से निकाले जाने के बाद प्रदीप का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हो गया है। उनके घर की छत भी कच्ची है. घर की छत लकड़ी से बनी है. ऐसे में बेटे के विदेश से खाली हाथ लौटने से परिवार को झटका लगा है। क्योंकि परिवार ने प्रदीप को विदेश भेजने के लिए कर्ज लिया था और उनके पास उस कर्ज को चुकाने का कोई विकल्प नहीं बचा। इसलिए परिवार ने सरकार से मदद मांगी है।